मनीष सिसोदिया ने कहा कि चीन की प्रणाली मां-बाप से भी मेहनत कराता है. हर अभिभावक को बच्चे की पढ़ाई पर रोज 10 मैसेज मिलते हैं. मेहनत, कंडक्ट, क्लास परफॉर्मेंस की जानकारी दी जाती है. चीन की शिक्षा प्रणाली हर बच्चे को एक ही मंत्र देती है कि मेहनत ही लाइफ स्टाइल है. स्कूल से निकल कर बच्चे सरकारी नौकरी की लाइन में नहीं लगते. वे दुनिया के बाजारों में धाक जमाते हैं.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली में शिक्षा क्रांति के जनक पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को भारत की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से एक बड़ी पहल की शुरूआत की. उन्होंने “दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और भारत” वीडियो सीरीज की शुरूआत की है, जिसका मकसद देश की जनता को शिक्षा के प्रति जागकरूक करना है, ताकि वह जैसी शिक्षा अपने बच्चों को देना चाहते हैं, वैसे ही नेताओं का चुनाव कर सकें. अपने पहले एपिसोड में मनीष सिसोदिया ने जापान, सिंगापुर, चीन, कनाडा, फिनलैंड के विकसित होने में शिक्षा के महत्व को बताया है. उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 18 साल बाद आजाद हुआ सिंगापुर आज शानदार शिक्षा के दम पर सबसे अमीर देशों में शामिल है. भारत तब बदलेगा, जब शिक्षा बदलेगी और शिक्षा तब बदलेगी, जब हमारे नेताओं की सोच बदलेगी. इसलिए अगर नेताओं की सोच न बदले तो नेता बदल दो.
मनीष सिसोदिया कहा कि कुछ दिन पहले मेरी और एआई ग्रॉक की शिक्षा पर दिलचस्प बातचीत हुई. लाखों लोग हमारी चैट पढ़ रहे थे. लोग सवाल पूछ रहे थे. सुझाव दे रहे थे. लोगों को यह जानने की उत्सुकता थी कि दुनिया की शिक्षा प्रणाली क्या है? कैसी है? भारत इसके सामने कहां खड़ा है? इस रुचि को देखकर मैं एक सीरीज शुरू कर रहा हूं, “दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और भारत.” पहले एपिसोड में पांच देश, पांच कहानियां. सवाल एक है कि भारत की शिक्षा दुनिया के मुकाबले कहां खड़ी है?
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