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S Jaishankar Reaction On Sergio Gor Appointment As Us Ambassador To India Amid Trump Tariff

S Jaishankar Reaction On Sergio Gor Appointment As Us Ambassador To India Amid Trump Tariff

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S Jaishankar on Sergio Gor: डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में नया राजदूत नियुक्त किया है. गोर ट्रंप के करीबी सहयोगी हैं और उन्हें दक्षिण-मध्य एशिया का विशेष दूत भी बनाया गया है.

अमेरिका ने भारत में अपने नए राजदूत की नियुक्ति कर दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी सर्जियो गोर को यह जिम्मेदारी सौंपी है. भारत सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है, हालांकि भारत की तरफ से इस पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं आई है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर से जब एक कार्यक्रम में अमेरिका के नए राजदूत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इतना कहा कि 'मैंने इसके बारे में पढ़ा है.' ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के करीब सात महीने बाद यह घोषणा हुई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह भारत के लिए सकारात्मक संकेत है और इससे साफ होता है कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते और मजबूत करना चाहता है.

सर्गियो गोर की नियुक्ति को अभी नहीं मिली सीनेट की मंजूरी

सर्जियो गोर की नियुक्ति पर अभी अमेरिकी सीनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है. हालांकि गोर को ट्रंप का खास माना जाता है, इसलिए उम्मीद है कि वे दोनों देशों के बीच खुलकर बातचीत का रास्ता खोलेंगे. व्यापार, पाकिस्तान को लेकर ट्रंप का रुख, इमिग्रेशन और रूस के साथ भारत के संबंध जैसे अहम मुद्दों पर सीधी चर्चा संभव हो सकेगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप नवंबर में क्वाड (Quad) शिखर सम्मेलन के लिए भारत आ सकते हैं. हालांकि, भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी से रिश्तों में खटास भी आ सकती है.

गोर बने दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत

सर्जियो गोर को दक्षिण और मध्य एशिया के लिए स्पेशल एन्क्वॉय (Special Envoy) भी बनाया गया है. इस पर कुछ चिंताएं सामने आई हैं कि अमेरिका, भारत-पाकिस्तान मामलों में ज्यादा दखल देने की कोशिश कर सकता है. भारत ने इस मुद्दे पर कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है. विदेश मंत्री जयशंकर ने इस पर टिप्पणी से परहेज किया, वहीं बाकी अधिकारी भी इंतजार कर रहे हैं कि गोर की भूमिका को लेकर और जानकारी सामने आए.

क्या हैं भारत की चिताएं?

भारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिका, भारत और पाकिस्तान को बराबर में रखता है. भारत का कहना है कि ऐसा करने से हमलावर और पीड़ित के बीच का फर्क मिट जाता है. खासकर अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत इस मामले में और सतर्क हो गया है.

ट्रंप की मध्यस्थता के दावे और भारत का जवाब 

ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जून को ट्रंप को साफ कह दिया कि भारत-अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता या मध्यस्थता का प्रस्ताव नहीं है. जयशंकर ने भी कहा कि यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत से हुआ था.

पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता पर क्या है भारत का रुख?

भारत पहले भी अमेरिका की ओर से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की कोशिशों का विरोध कर चुका है. 2009 में भारत सरकार ने ओबामा प्रशासन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था, जब रिचर्ड होलब्रुक को अफ-पाक क्षेत्र के लिए दूत बनाया गया था. भारत नहीं चाहता कि अमेरिका गोर की नियुक्ति का इस्तेमाल उसके ऊपर ऐसे मुद्दे थोपने के लिए करे, जिनका समाधान सिर्फ भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संवाद से हो सकता है.

जयशंकर ने साफ कहा कि पिछले 50 साल से भारत की राष्ट्रीय सहमति यही है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी. भारत चाहता है कि अमेरिका उसके साथ अच्छे रिश्ते रखे, लेकिन उसकी सीमाओं और नीतियों का सम्मान करे.

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