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India China Russia Can Become Global Bigge Powerhouse Than Us Donald Trump Tariffs Dollar Value Will Decrease

India China Russia Can Become Global Bigge Powerhouse Than Us Donald Trump Tariffs Dollar Value Will Decrease

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India Russia China: ट्रंप के टैरिफ की वजह से जियोपॉलिटिक्स में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. भारत, चीन और रूस का जीडीपी दुनिया के आर्थिक उत्पादन का लगभग एक-तिहाई है.

ट्रंप के टैरिफ के बाद रूस, चीन और भारत एक मंच पर आ गया है, जिससे बहुत तेजी से दुनिया की राजनीति बदलने लगी है. जिस तरह से तीनों देश के नेता एक-एक करके सबसे मिल रहे हैं वो देखने में कूटनीतिक शिष्टाचार भले लग रहा हो, लेकिन यह गठबंधन एक वैश्विक महाशक्ति की ओर संकेत दे रहा है, जिससे पूरा ट्रंप प्रशासन घबराया हुआ है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 2025 के अंत तक भारत आने वाले हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन जाएंगे. साल 2018 के बाद यह पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी. विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप के टैरिफ से मौजूदा ग्लोबल कमोडिटी ट्रेड पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है.

ट्रंप के टैरिफ से बदल रही दुनिया की राजनीति

विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रम्प के टैरिफ से मौजूदा वैश्विक वस्तु व्यापार पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि हम ऐसी अर्थव्यवस्था में नहीं रह रहे हैं जहां अधिकांश भाग पर केवल एक ही देश का प्रभुत्व हो. जब से विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना हुई है जब से ट्रेड को लेकर दुनिया बदल गई है. हालांकि ट्रंप के टैरिफ से जियोपॉलिटिक्स में जरूर बदलाव देखने को मिल सकता है. यही कारण है कि चीन-रूस और भारत तीनों आज एक मंच पर हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता भी इन तीनों देशों के बीच बढ़ती मित्रता का एक कारण है.

54 ट्रिलियन डॉलर के वैश्विक महाशक्ति का होगा जन्म

लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक CIIA और वल्लम कैपिटल के संस्थापक मनीष भंडारी ने कहा, "8.2 अरब लोगों और 173 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक शक्ति वाली दुनिया में भारत, चीन और रूस वैश्विक मंच पर छा गए हैं. इनका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 53.9 ट्रिलियन डॉलर है, जो दुनिया के आर्थिक उत्पादन का लगभग एक-तिहाई है. ट्रंप का टैरिफ भारत, चीन और रूस जैसे देशों को वैश्विक व्यापार से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि व्हाइट हाउस के इस कदम ने इन तीनों देशों को जोड़ने वाली एक शक्ति का काम किया है."

उन्होंने कहा, "भारत-चीन-रूस मिलकर 5.09 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात करते हैं, जो ग्लोबल कमोडिटी एक्सपोर्ट का लगभग पांचवां हिस्सा है. यह कई महाद्वीप से होकर गुजरता है, जिससे वर्ल्ड ट्रेड को बढ़ावा मिलता है. यह इनोवेशन, टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्री के माध्यम से अरबों लोगों को जोड़ता है. मौजूदा समय में अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता है और ट्रंप का टैरिफ वैश्विक व्यापार में इसे वैसे ही बनाए रखने के उद्देश्य से है.

ट्रेड वॉर के बाद अब करेंसी वॉर

अमेरिकी प्रशासन उन सभी देशों को फटकार लगाने की कोशिश कर रहा है जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस और चीन के डी-डॉलरीकरण अभियान का समर्थन किया है. Basav Capital के संस्थापक संदीप पांडे ने कहा, "अमेरिका और यूरोपीय देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत और चीन ने स्थानीय करेंसी में रूसी कच्चा तेल खरीदा, जिससे उन्हें अपने भंडार में अधिक डॉलर जमा करने में मदद मिली. उम्मीद है कि इससे ट्रेड वॉर के बढ़ते तनाव के बीच करेंसी वॉर में उन्हें मदद मिलेगी."

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