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India China Relations Meeting Between Chinese Foreign Minister Wang Yi And Indian Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar

India China Relations Meeting Between Chinese Foreign Minister Wang Yi And Indian Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar

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चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर की बैठक में सीमा शांति, व्यापार और द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा हुई.

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और राजनीतिक तनावों के बावजूद दोनों देश अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रयास कर रहे हैं. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली की यात्रा के दौरान कहा कि दोनों देशों को सही रणनीतिक साझेदारी स्थापित करनी चाहिए और एक-दूसरे को साझेदार मानना चाहिए. इस बयान ने स्पष्ट किया कि बीजिंग और नई दिल्ली दोनों ही द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने और सहयोग के नए रास्ते खोजने के इच्छुक हैं. वांग यी ने अमेरिकी टैरिफ को लेकर डॉ. जयशंकर से कहा कि दुनिया तेजी से बदलाव की तरफ जा रही है. उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि एकतरफा धौंस-धमकी का सामना कर रहा है. इसके अलावा दुनिया फ्री ट्रेड बिजनेस और अंतर्राष्ट्रीय  चुनौतियों का सामना कर रही है.

इतिहास गवाह है कि भारत और चीन ने कठिन दौर देखे हैं. जून 2020 की गलवान घाटी की झड़प ने रिश्तों को दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया था, लेकिन मौजूदा समय में दोनों देशों की नेतृत्व क्षमता इस बात पर केंद्रित है कि तनाव कम हो और क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर सहयोग के अवसर खोजे जाएं.

सीमा शांति और संवाद की अहमियत
वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर की बैठक में सीमा शांति एक प्रमुख मुद्दा रही. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत-चीन संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति का आधार सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने की क्षमता है. वांग यी ने भी माना कि सभी स्तरों पर संवाद और आदान-प्रदान धीरे-धीरे बहाल हो रहे हैं. यह संकेत है कि दोनों देश अब केवल सीमा विवादों पर अटके रहने के बजाय, भविष्य की ओर देखना चाहते हैं. इसके अलावा, अजीत डोभाल और वांग यी के बीच होने वाली सीमा वार्ता से यह उम्मीद बढ़ी है कि लंबे समय से अटकी वार्ताओं में प्रगति हो सकती है.

व्यापार और द्विपक्षीय सहयोग के अवसर
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार और आर्थिक संबंधों पर भी चर्चा की. चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, लेकिन व्यापार संतुलन लंबे समय से बीजिंग के पक्ष में झुका हुआ है. जयशंकर ने नदी डेटा साझाकरण, सीमा व्यापार, संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर भी बातचीत की. इस तरह के कदम न केवल व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाएंगे बल्कि आपसी विश्वास को भी मजबूत करेंगे. वांग यी का यह बयान भी अहम है कि भारत और चीन, विकासशील देशों के लिए उदाहरण पेश कर सकते हैं. इसका सीधा अर्थ है कि दोनों देश अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकते हैं.

SCO शिखर सम्मेलन और भविष्य की दिशा
वांग यी की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से कुछ दिन पहले हुई है. मोदी सात वर्षों में पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बीजिंग जाएंगे. चीन और भारत दोनों SCO के अहम सदस्य हैं और यह मंच दोनों देशों को क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और आर्थिक सहयोग पर अपने विचार साझा करने का अवसर देता है. इस संदर्भ में वांग यी की यात्रा और जयशंकर के साथ उनकी बातचीत केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एशिया की सामूहिक सुरक्षा और स्थिरता से भी जुड़ी है.

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