17 साल के बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सबूत न होने के कारण सभी आरोपियों को बरी किया है.
17 साल के इंतजार के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के कोई सबूत नहीं मिले. आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता. जज ने केस का इतिहास सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में RDX लगाया गया था. कोर्ट ने कहा कि कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई है.
यह कांग्रेस के गाल पर करारा तमाचा है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को हाथ जोड़कर हिंदू समाज से माफी मांगनी चाहिए. उनकी स्टोरी फेल हो गई. हिंदुओं को आरोपी बनाने के चक्कर में असली गुनहगारों को बचा लिया गया. दोहरा पाप किया गया. कांग्रेस के पापों का घड़ा भर चुका है. कांग्रेस की धमाकों की सरकार थी.
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