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Sonia Gandhi On Great Nicobar Mega Project Tribal Rights Nicobarese Shompen Environment Environmental Threat

Sonia Gandhi On Great Nicobar Mega Project Tribal Rights Nicobarese Shompen Environment Environmental Threat

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Sonia Gandhi News: सोनिया गांधी ने ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन और पर्यावरणीय खतरा बताया. उन्होंने कहा कि निकोबारी और शोम्पेन समुदायों का अस्तित्व संकट में है.

सोनिया गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को गंभीर और चिंताजनक बताया है. उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट आदिवासी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन करती है और कानूनी प्रक्रियाओं और बातचीत की मर्यादाओं का मजाक उड़ाती है. सोनिया गांधी ने एक लेख में इसके बारे में डिटेल में बताया है. 

द हिंदू में प्रकाशित लेख में सोनिया गांधी ने कहा, "ग्रेट निकोबार द्वीप पर दो मुख्य आदिवासी समुदाय रहते हैं- निकोबारी और शोम्पेन. निकोबारी आदिवासियों के गांव इस प्रोजेक्ट की प्रस्तावित भूमि में आते हैं. 2004 के भारतीय महासागर सूनामी के दौरान ये लोग अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे. अब इस प्रोजेक्ट के कारण ये समुदाय अपने पुरखों की भूमि पर लौटने का सपना खो देंगे. शोम्पेन समुदाय का खतरा और भी बड़ा है. उनके लिए बनाए गए विशेष नियम (Union Ministry of Tribal Affairs) के अनुसार, बड़े विकास प्रोजेक्टओं में उनकी सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके बावजूद, इस प्रोजेक्ट के लिए उनके आरक्षित वन क्षेत्रों को हटाया जा रहा है, जिससे उनका पारंपरिक जीवन संकट में आ जाएगा."

सोनिया गांधी ने कही ये बड़ी बात

सोनिया गांधी ने बताया कि संविधान और कानून द्वारा बनाए गए आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा के लिए बने निकायों को पूरी प्रक्रिया में दरकिनार किया गया. न केवल राष्ट्रीय आयोग को सलाह नहीं दी गई, बल्कि आदिवासी परिषद के अध्यक्ष की भी सुनवाई नहीं हुई.

उन्होंने आगे कहा, "प्रोजेक्ट का पर्यावरणीय प्रभाव भी गंभीर है. अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट के लिए द्वीप के लगभग 15% जंगल काटे जाएंगे, जिसमें 8.5 लाख से अधिक पेड़ शामिल हैं. कुछ स्वतंत्र रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 32 लाख से 58 लाख पेड़ तक हो सकती है. सरकार का प्रस्तावित समाधान “कंपेनसेटरी अफॉरेस्टेशन” है, लेकिन यह समाधान उस क्षेत्रीय और जैविक विविधता वाली जंगलों के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता."

प्रोजेक्ट का पोर्ट भी संवेदनशील तटीय क्षेत्र (CRZ 1A) में बन रहा है, जहां कछुए के घोंसले और प्रवाल भित्तियां हैं. इसके अलावा, यह क्षेत्र भूकंप और सूनामी के लिए संवेदनशील भी है.

शोम्पेन और निकोबारी समुदायों का अस्तित्व खतरे में: सोनिया गांधी

सोनिया गांधी का कहना है कि जब शोम्पेन और निकोबारी समुदायों का अस्तित्व ही खतरे में है, तो हमारी सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती. हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों और इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करें और इस अन्याय और राष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ आवाज उठाएं.

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